झनझनाते तारों ने छेड़ा है संगीत
मैं भी तो गाना चाहता हूँ एक गीत
जहाँ लय सुर ताल समन्वयित हों
शब्दों से बरसती कोई मधुर प्रीत
मैं यदि दावानल के बीच घिरा होऊं
चंदन वन की सुरभि सी हो प्रतीत
कहीं नेपथ्य में सुनाई देते कटु वचन
एक तीव्र संगीत में हों परिवर्तित
पराकाष्ठा स्वरुप अप्रतिम शांति हो
गाऊं मैं जीवन का ऐसा मधुर गीत
2 comments:
vaah!!, bahut khub.
सुन्दर!
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