उनके पास मेरे इम्तहान के तरीक़े अभी बाक़ी हैं
मुझ में अभी मेरे वजूद के भी चन्द सवाल हावी हैं
वो हमेशा अपनी ही नज़र से मुझे देखना चाहते हैं
मेरे तौर तरीक़े उनके तरीक़ों से कुछ अलग से हैं
लेकिन एक बात हम में ज़रूर मिलती जुलती है
वो मुझे और हम उन्हें अजीब ओ गरीब लगते हैं
हाँ एक और बात भी बड़ी अच्छी है हम दोनों में
हम फिर भी दोनों अक़सर मिलते जुलते रहते हैं
1 comment:
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना.....
खबरनामा की ओर से आभार
Post a Comment