Thursday, February 16, 2012

रोशन फिजा

उनसे भी और खुद से भी अनबन रही
ज़िन्दगी हर एक शिक़ायत करती रही
रात भर यूँ ही कशमकश थी होती रही
करवटें भी बार बार कम सी लगती रहीं
सुबह की रोशन फिजा में धुल सी गई
ख़ामोशियाँ भी थीं ज़रा मुस्कुराती रहीं
नींद अब आँखों से शिक़ायत कर रही
आँख दिल की ओर उँगली है दिखा रही
दिल ही दिल में बात कुछ बनती रही
ज़िन्दगी से अब शिक़ायत कुछ नहीं

3 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर !!!

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
narendra pant said...

आँख दिल की ओर उँगली है दिखा रही
दिल ही दिल में बात कुछ बनती रही
ज़िन्दगी से अब शिक़ायत कुछ नहीं

bahut khoob sir