उनसे भी और खुद से भी अनबन रही
ज़िन्दगी हर एक शिक़ायत करती रही
रात भर यूँ ही कशमकश थी होती रही
करवटें भी बार बार कम सी लगती रहीं
सुबह की रोशन फिजा में धुल सी गई
ख़ामोशियाँ भी थीं ज़रा मुस्कुराती रहीं
नींद अब आँखों से शिक़ायत कर रही
आँख दिल की ओर उँगली है दिखा रही
दिल ही दिल में बात कुछ बनती रही
ज़िन्दगी से अब शिक़ायत कुछ नहीं
3 comments:
बहुत सुंदर !!!
आँख दिल की ओर उँगली है दिखा रही
दिल ही दिल में बात कुछ बनती रही
ज़िन्दगी से अब शिक़ायत कुछ नहीं
bahut khoob sir
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