Monday, September 10, 2012

कभी कभी

बादलों और बारिश के बीच
खुली धूप चाहे गर्म ही सही
कभी कभी अच्छी लगती है
ग़मगीन माहौल में भी कभी
किसी की खिलखिलाती हँसी
कभी कभी अच्छी लगती है
मक़बूल ज़िन्दगी के बीच भी
बेवक्त ही आ गई परेशानी भी
कभी कभी अच्छी लगती है
संजीदा चलती बहस के बीच
बचकाना बेवकूफ़ी की बात
कभी कभी अच्छी लगती है
साथ रहने की आदत के बीच
जुदाई की थोड़ी सी ये आदत
कभी कभी अच्छी लगती है

2 comments:

poonam said...

sunder khayal

AVINASH KUMAR PANDEY said...

वाकई... अच्छी लगी ....