Wednesday, September 5, 2012

फिर पास

जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे
रिश्तों की खुशियाँ; फिर गुनगुनाने लगीं
मौसम की रिमझिम, फिर रूमानी लगे

आओ आज फिर से, मेरे आगोश में
बरसाओ प्यार के रंग, फिर मेरे संग
बस भूल जाओ, वो सब पुराने प्रसंग
जीवन की कलियाँ, फिर खिलने लगीं
खुशियों के वो पल, फिर पास आने लगे
जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे

फिर कहीं कोई है, वो इक तारा टूटा
माँग लो मेरे लिए फिर, था जो सफ़र छूटा
वक़्त ने था मेरा जो, सब कुछ था लूटा
हाँ मुझे अज़ीज़ है, हर सुबह नई यहाँ
सुबह के होते ही, सब अँधेरे जाने लगे
जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे

No comments: