Saturday, September 22, 2012

हमारा


कल हमारा न था सच है
पर आज है अवश्य हमारा
किसी की अकर्मण्यता से
सिमटा सा है आज हमारा
पर आज अब हमारी बारी है
तभी तो होगा कल हमारा
या फिर किसी और के लिए
होगा हर एक प्रयास हमारा
व्यक्ति और व्यवस्था को छोड़
सोचेंगे क्या है कर्तव्य हमारा
वर्ना कोसने और आलोचना का
है ही क्या अधिकार हमारा ?

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