एक विचरता प्यासा बादल सा हूँ मैं
मैं क्या प्यास बुझाऊंगा समन्दर की
उम्मीद जो उसको है मुझ को भी है
पर मालूम है मुझे सब बात अन्दर की
Just a dry passing cloud that I am
How will I quench the thirst of sea
Though I'm aware of inside story
Yet I do have the same hope as sea
1 comment:
बेहतरीन कविता
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