जब भी फैसले को करता है ये मन
कई नये सिलसिले आने लगते हैं
कभी कुछ नये वाक़ये और कभी
चन्द नये सवाल पास आने लगते हैं
मालूम होता है कि बहुत दूर है अभी
फैसले सब्ज़- स्याह दिखाई देते हैं
जाने कब आयेगी फैसले की घड़ी
कुछ ऐसे ही ख़याल आने लगते हैं
कभी ज़ेहन में अज़ीब से ख़यालात
अपने आप बीच में आने लगते हैं
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