Friday, December 2, 2011

बाहर

मेरा सराहा जाना उनकी बर्दाश्त से बाहर था
उनकी नज़र में ये कुछ हद से बाहर सा था
उनका ये समझना मेरी समझ से बाहर था
दोनों को समझना मानो हकीकत से बाहर था

2 comments:

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने की अनुकम्पा करें.

Udaya said...

mahoday! ham to aapke blog mein sahity ras lete rahte hain:)