Wednesday, December 7, 2011

दर्द से रिश्ते

अब कैसे संभालें दिल को हम
दिन रात वो पल याद आते हैं
कितना ही भुलाना चाहें हम
वो बस यादों में आ जाते हैं
जब उनके ख्याल आ जाते हैं
हम खुद को ही भूला करते हैं
जब रातों की नींद नहीं आती
तो हम करवट बदला करते हैं
देख फलक की ओर कहीं हम
बिखरे से तारे गिनते रहते हैं
हमदर्द नहीं हमदम भी कहाँ
हम इस दर्द से रिश्ते रखते हैं

1 comment:

अनुपमा पाठक said...

pain resides fondly in human heart! nicely expressed!