Saturday, December 3, 2011

दूरियाँ

कभी ये दूरियाँ उदास कर देती हैं
फिर यूँ प्रतीत होता हम तो वहीँ हैं
स्मृति पटल पर कोई दूरियां नहीं
स्मरण में तो आज भी सब वही है
दूरियाँ महज़ एक अहसास भर है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
महकती यादें स्पंदन और भावनाएं
उनका एहसास आज भी वही है
लेकिन मन के इस दावानल में
अंतर्मन का द्वन्द आज भी वही है

2 comments:

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना, बधाई.

Umesh Chandra Pant said...

अप्रतिम....