Saturday, December 24, 2011

डोर

बड़े नाज़ुक से होते हैं रिश्ते
पर बड़ी लम्बी है डोर इनकी
डोर के एक छोर पर हम हैं
कोई हमारी थामी जगह है
कई लोग इसके आस पास हैं
कुछ दूर से नज़ारा करते हैं
कई इशारा सा भी करते हैं
हमें अपने पास बुलाने के लिए
कुछ दूर होना भी चाहते हैं
हमसे नाराज़ से या मनाते से
हमें बताने समझाने के लिए
कुछ भी कहना चाहे कोई
पर डोर तो बस अपने हाथ है

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