Monday, December 26, 2011

दोस्ती

वक़्त की तो हमसे हो चुकी है दोस्ती
वक़्त का क्या वो तो कट ही जायेगा
अब वो हमसे अक्सर पूछता रहता है
ज़माना अब कितनी तरक्की करेगा
ये पुरानी बातें अब सब मिट जाएँगी
या इनका एहसास भर ही रह जायगा
क्या कह सकते ही इत्मीनान से तुम
कि ये सब कुछ तुम्हारे बाद भी रहेगा
रोज़ की तरह ही नई राह चल दिए हो
ये नया रास्ता न जाने किधर जायेगा
हमने कह दिया वक़्त को बेवाकी से
तुम्हारे भरोसे ही सब चलता जायेगा

No comments: