समय और जीवन दोनों ही
अपरिहार्य और गतिमान हैं
दोनों की भविष्यवाणी करना
हमारी क्रियाक्षमता से बाहर है
अपरिमित और असाध्य को
मापने का प्रयास भर ही है
इनकी विवेचना व सम्भावना
अनुमान लगाना मात्र ही है
इनके गतिशीलता के आयाम
इन्हीं के बस अपने से ही हैं
इन्हें वश में करने के प्रयास
अवश्यमेव बेमानी से ही हैं
इनकी पराकाष्ठा भी केवल
इन्हीं के तर्क पर चलती है
No comments:
Post a Comment