कभी ये दूरियाँ उदास कर देती हैं
फिर यूँ प्रतीत होता हम तो वहीँ हैं
स्मृति पटल पर कोई दूरियां नहीं
स्मरण में तो आज भी सब वही है
दूरियाँ महज़ एक अहसास भर है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
महकती यादें स्पंदन और भावनाएं
उनका एहसास आज भी वही है
लेकिन मन के इस दावानल में
अंतर्मन का द्वन्द आज भी वही है
2 comments:
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना, बधाई.
अप्रतिम....
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