Monday, March 5, 2012

कान्हा

कान्हा मुझे बड़ा क्रोध है तुम पर
यूँ इठला के बोली थी राधा गोरी
अब मुझे प्यार आया है तुम पर
कान्हा ने फिर यूँ चुटकी ले डारी
चलो हटो झूठे हो तुम तो बहुत
कुछ लजा के बोली राधा गोरी
कभी बांसुरी बजा गोपियों को
कभी तुम्हारी झूठी बातें सारी
जाने किस किस को सौतन कहूँ
मेरी तो दुनियाँ ही सौतन सारी
पर मेरी दुनियाँ तुम्हीं हो राधा
बोल कान्हा ने मारी पिचकारी
भीगी राधा मन ही में थी सोचती
कान्हा से ही मेरी दुनियाँ न्यारी
कान्हा मंद मुस्कान से सोचते
आज फिर बन गई राधा प्यारी

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