तुझे ठहरे हुए क़दमों की आहट से पहचान लेते हैं
बिन कहे भी तेरे हम ज़ज्बात सभी जान लेते हैं
हम तो गुलशन की तरह ही खड़े हैं तेरी राहों में
तेरे आने के मौसम का पता हर बार जान लेते हैं
उफनती हुई कोई दरिया सी लगे जब कभी बहने
तेरे बहने से मिली कोई भी सजा हम जान लेते हैं
जब भी देखूँ मैं तेरी लाज भरी पलकें लगीं झुकने
इनके झुकने की अदा से हम बस पहचान लेते हैं
कभी गर्मियों के मौसम में गर्मी की करें ख्वाहिश
सावन के महीने भी वारिश की फरियाद करते हैं
1 comment:
beautiful!
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