Saturday, March 10, 2012

किताब

हम तुम कोई कहानी के पात्र नहीं
हम तो स्वयं ही वो कहानीकार हैं
लिखते हैं एक कहानी की किताब
हर पल रोज़ नए नए दृष्टान्तों से
जाने अनजाने शब्दों के प्रयोग से
अपनी ही तरह के कार्यकलापों से
कुछ कहे व अप्रकट मनोभावों से
ज़िन्दगी की किताब हमारी ही है
किसी और की लिखी कतई नहीं
इसका आदि तो हमारे वश न था
किन्तु यहाँ उपसंहार हम लिखेंगे
हमें ये अहसास करना ही होगा
हम इसकी पराकाष्ठा ख़ूब लिखेंगे

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