हम तुम कोई कहानी के पात्र नहीं
हम तो स्वयं ही वो कहानीकार हैं
लिखते हैं एक कहानी की किताब
हर पल रोज़ नए नए दृष्टान्तों से
जाने अनजाने शब्दों के प्रयोग से
अपनी ही तरह के कार्यकलापों से
कुछ कहे व अप्रकट मनोभावों से
ज़िन्दगी की किताब हमारी ही है
किसी और की लिखी कतई नहीं
इसका आदि तो हमारे वश न था
किन्तु यहाँ उपसंहार हम लिखेंगे
हमें ये अहसास करना ही होगा
हम इसकी पराकाष्ठा ख़ूब लिखेंगे
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