न जाने क्यों
मेरा ही व्यक्तित्व
मुझ में ही
शायद इधर
मेरी स्वयं से
शिकायतें अपनी
अब बढ़ने लगी हैं
या फिर यहाँ
मेरे आस पास
लोग करते हैं
परिहास मेरा
यूँ भी लोग अनभिज्ञ हैं
अपने व्यक्तित्व से
शायद इसीलिए
मुझमें खोट ढूंढते हैं
और मैं भी
इन्हें तलाशने लगता हूँ
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