चाँद दिन में ही क्यों रोज़ सो जाता है
जमीन इतनी ऊबड़ खाबड़ क्यों होती है
ये आसमान क्यों नहीं कभी घूमता है
जब सूरज और चाँद आ सकते हैं तो
सितारे नज़दीक क्यों नहीं आ जाते हैं
आदमी के पँख क्यों नहीं बनाये जाते
पँछी कैसे ऐसे हवा में उड़ते रहते हैं
समंदर कोयों नहीं दरिया में मिलते
रेत का पानी सब कहाँ चला जाता है
सूरज चाँद जब घूमते दिखाई देते हैं
तो पृथ्वी घूमती है लोग क्यों कहते हैं
जब सब कुछ भगवान ही करवाते हैं
तो लोग तेरा-मेरा कह क्यों झगड़ते हैं
कुछ सवाल जो कभी ख़त्म नहीं होते
ये बच्चे इतने सवाल क्यों करते हैं
1 comment:
"क्यों " का जवाब तो हकीम लुक़मान के पास भी नहीं था.....
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