Monday, April 7, 2014

कोलाहल

शोर भरी इस नगरी में है
चारों ओर भरा कोलाहल
घर के अंदर घर के बाहर
बस कोलाहल ही कोलाहल

बस्ती बस्ती दिशा दिशा में
हर पल होता है कोलाहल
यहाँ तेरे मेरे सबके अंदर
बस कोलाहल ही कोलाहल

कोई भी है बात न सुनता
उसका शोर भरा कोलाहल
मन के अंदर तन के अंदर
बस कोलाहल ही कोलाहल

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