कुछ हम कहना चाहते थे अपनी उनसे
उन्होंने गुफ्तगू में अपनी बात जान ली
हमने जानबूझ कर अपनी बात कह दी
वो सोचते होंगे हमने कुछ न पूछा उनसे
हम सोच रहे हैं कुछ नहीं छुपा है हमसे
वो भी अपनी अक्ल पर नाज़ करते होंगे
हम भी अपनी जीत का जश्न मनायेंगे
जब कभी होंगी खुलकर बातें किसी रोज़
वो भी हम भी खुलकर खूब मुस्कुराएंगे
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