Sunday, May 8, 2011

प्रिय पुत्र

दिन के सूरज से चमको तुम
शीतलता किन्तु चांदनी की हो
रोमांचित तन मन सब हो जाए
यश और कीर्ति तुम्हारी ऐसी हो
स्वयं प्रशस्त रहो सदा तुम
चहुँ ओर साथ प्रशस्त जग हो
रहे सदा तुम्हारा आचरण सरल
किन्तु कभी मन-मैल न हो
जीवन पथ पर सुख शांति सदा
प्रिय पुत्र! सदा तेरी जय हो!

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