एकान्त सपनों की दुनियां में
जाने क्या-क्या ख्वाब बुनते हैं
उदास आँखों में भी हम अपनी
ख़ुशी की चमक सी देख लेते हैं
बस तुम्हारे सानिध्य के लिए
हम यहाँ हर रोज तरसते हैं
तुम अक्सर पास नहीं होते
फिर भी हम इंतजार करते हैं
ख्यालों में ही सही अँधेरे में
हम तुमारी छबि तो देख लेते हैं
इसीलिए उजाले की जगह पर
हमें अँधेरे ही बेहतर लगते हैं
No comments:
Post a Comment