मंदिरों की कर्णप्रिय घंटियाँ
शंख्ध्वनि का अतुलनीय संगीत
प्रातः काल रमणीक पहाड़ों में
धर्म-कर्म में लीन पर्वतीय जन
मनोरम छटाओं के बीच जीते
अपना नित्य संघर्षमय जीवन
कर्मठ महिलाएं और बच्चे
पुरुष प्रधान समाज में जीते
परिवार का उत्तरदायित्व निभाते
हर कठिनाई से जूझते भी
लगभग प्रसन्न ही रहते
श्रम, विश्वास और आस्था ही
जीवन्तता के परिचायक हैं
और इनके जीवन का आधार
1 comment:
it depicts clearly...the life of the people on hills..
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