Wednesday, May 11, 2011

आज भी

तुम्हारे स्पर्श के स्पंदन का
आज भी होता है रोमांच सा
आभास सा भी होने लगता है
मानो कोई आज भी चाहता है
मेरे ही आस पास रहकर उन
नजदीकियों का अहसास करना
अब भी उस पल की स्मृति में
मैं बार-बार खो जाना चाहती हूँ
जो मेरे जीवन की मिठास सी
मेरे पहले प्यार की आस सी
ताज़ा है मेरे मन भी आज भी

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