तुम तो अपनी कह लिए
मेरी बारी अभी बाकी है
यों पलट के न चल दो
अभी बात कोई बाकी है
कुछ और इंतजार करो
अभी सवाल कई बाकी हैं
बात भर कह देने से क्या
अभी तो इम्तहान बाकी है
सुबह की रौशनी अब कहाँ
अभी भी कुछ रात बाकी है
शिकवे शिकायत तो हो गए
अभी ज़ज्बात कोई बाकी है
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