Friday, May 27, 2011

घुमन्तू

हाँ तुम्हारी ही भाँति मुझे भी
प्रायः स्मृति में मिल जाते हैं
वो विगत के पल और स्थान
मेरे जीवन के अभिन्न अंग
जीविकोपार्जन तो माध्यम था
मेरी नियति में सब नियत था
देखो तुम्हें भी सब स्मरण है
ठीक तुम्हारी ही तरह मैं भी
बस अनचाहे ही सहता रहता हूँ
विवशताएँ स्थान-परिवर्तन की
बस घुमन्तू पक्षियों की तरह
बदलते 'मौसम' के साथ-साथ

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