कद्र तुमने बहुत की लेकिन
कद्र करना तुम्हें नहीं आया
मेरे ज़ज्बातों की कद्र तो की
ज़ज्बात निभाना नहीं आया
हमने कोई शिकायत न की
बासब्र सब शिकवे सुनते रहे
हर बार हर शिकायत में पर
तुम्हें सब्र के पास नहीं पाया
आलम मगर नागवार हमको
खुद की कद्र करते नहीं पाया
चन्द अल्फाज़ क्या बताएँगे
सब्र से कद्र कौन कर पाया
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