बस नहीं है ये सिर्फ इत्तेफाक
जिसे मैं अक्सर भुलाता रहा था
उनके स्वार्थ हेतु साधन बन
अपनी नज़रंदाज़ी भूलता रहा था
मुझे अब एहसास होने लगा है
वो जान बूझकर ये कर रहे थे
मेरा व मेरी भावनाओं का प्रायः
उनके द्वारा किया गया इस्तेमाल
मेरी सदाशयता वश उदार सा था
मैं अब भी, न चाहते हुए भी
उदार बना रहूँगा भविष्य में भी
शायद मेरी प्रवृत्ति जान बूझकर
अपना कर्त्तव्य कर ही देने की है
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