मगर भरते ही जाते हो झोली
प्यास बुझाते बढ़ी प्यास जब
मद-मय जाने कितनी पी ली
अचरज कोई है नहीं हम को
थाह जगत की तुमने पा ली
क्या-क्या लेकर जाओगे सँग
क्या गिनती है तुमने कर ली
रहो सचेत सम्हालो संचित
फिर न कहना चोरी कर ली
हमने तो बस वक़्त बिताया
खाया कुछ बस उम्र है पी ली
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