तुम इन हवाओं को
मचलती उमंगों को
इन नए ख्यालों को
सारे जज़्बातों को
बहकती बातों को
महकती रुत को
और भी वज़ह होंगी
यूँ महसूस नहीं होंगी
एक वक़्त आएगा
महसूस करायेगा
तुमने अच्छा किया
वक़्त से जान लिया
सब्र का इम्तहान लिया
तब इरादा कर लेना
करना या नहीं करना
क्या फ़र्क़ पड़ता है
कुछ समय आजमा लो
शायद अंज़ाम भला हो!
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