Monday, July 28, 2014

आजमा लो

अभी गुजर जाने दो
तुम इन हवाओं को
मचलती उमंगों को
इन नए ख्यालों को
सारे जज़्बातों को
बहकती बातों को
महकती रुत को
और भी वज़ह होंगी
यूँ महसूस नहीं होंगी
एक वक़्त आएगा
महसूस करायेगा
तुमने अच्छा किया
वक़्त से जान लिया
सब्र का इम्तहान लिया
तब इरादा कर लेना
करना या नहीं करना
क्या फ़र्क़ पड़ता है
कुछ समय आजमा लो
शायद अंज़ाम भला हो!


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