Tuesday, July 1, 2014

चुप था सूरज

चाँद भी है बड़ा ये चाँदनी भी भली
सूरज़ से बड़ा लेकिन कोई भी नहीं
चाँद इतरा के बोला बड़े नाज़ से
बगैर उसके जहाँ ये कुछ भी नहीं
चाँदनी ने कहा जो अगर मैं न हूँ
रौशनी के बिना चाँद कुछ भी नहीं
आसमाँ ने कहा मैं जो चाहूँ अगर
बादलों में छुपा चाँद कुछ भी नहीं
चुप था सूरज बड़ा बोला कुछ नहीं
जानता था कि है चाँद कुछ भी नहीं

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