बस इतनी छोटी है
तुम्हारे आस-पास
ये रूह भी मेरी
भटकती रहेगी
और कहीं नहीं
बस यहीं कहीं
तुम्हारे आस-पास
शायद तुम्हें न भी हो
इसका एहसास
और कहाँ जाऊँगा
लेकर के मैं अपना
ये भस्मीभूत शरीर
नहीं है मुझे कोई
स्वर्ग की कामना
यहीं है मेरा स्वर्ग
तुम्हारे आस-पास
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