एक नई उमंग आई है मन में
मोहब्बत की सीढ़ियाँ चढ़ने लगूँ
आया है मेरे भी मन में
क्या जानूँ मैं पहली मुलाक़ात में
क्या होगा उसके दिल में
कुछ बातचीत हो तो बने सिलसिला
क्या है क़िस्मत के मन में
सोचता हूँ करूँ गुफ़्तगू थोड़ी सही
डरता हूँ अपनी ही भाषा से मैं
उसके अरमान क्या मिलेंगे मुझसे
क्या है मेरे अपने अरमानों में
कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ पहुँचूँ
जद्दोजहद चलती रही मन में
चलो कुछ समय और करूँ इंतज़ार
बात रह गई मन की मन में
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