Monday, July 28, 2014

अच्छा लगे

शायद नहीं अहसास कोई तुमको
बस अपनी ही सोचते, कहते हो
हमें तो आदत सी हो गई है अब
तुम्हारी सुनने अपनी छुपाने की
फिर भी कभी महसूस होता तो है
हमारी भी सुन लेते कभी तुम भी
यूँ तो हमारी कोई शिकायत नहीं
चुप ही रहना चाहें ऐसा भी है नहीं
कभी समय निकाल लेना तुम भी
इत्मीनान से बातें करे लेंगे हम भी
अपने प्रश्न और जिज्ञासायें तुम
थाम लेना और सुनना हमारी तुम
क्या मालूम अच्छा लगे कुछ भी
तुमको भी हमको भी दोनों को ही


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