Sunday, July 6, 2014

जब तक उम्मीद

कल उम्मीदें दिलासा देती रहीं कल के लिए
आज़ हम कल की बात कल पर टालते गए

हर बात की अपनी उम्र है हर किसी के लिए
अंदाज़ा करना मुश्क़िल है ये सब किसलिए

हम थे बादलों से बारिश की उम्मीद लगाये
बादल छाये और बिन बरसे यूँ ही चले गए

फिर आसमाँ की तरफ देखेंगे नज़रें गढ़ाए
बादल से होगी उम्मीद टकटकी लगाये हुए

क्या मालूम यूँ कब कौन कहाँ मिल जाए
ज़िन्दगी तभी तक जब तक उम्मीद जिए


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