Monday, May 30, 2011

परिचायक


मंदिरों की कर्णप्रिय घंटियाँ
शंख्ध्वनि का अतुलनीय संगीत
प्रातः काल रमणीक पहाड़ों में
धर्म-कर्म में लीन पर्वतीय जन
मनोरम छटाओं के बीच जीते
अपना नित्य संघर्षमय जीवन
कर्मठ महिलाएं और बच्चे
पुरुष प्रधान समाज में जीते
परिवार का उत्तरदायित्व निभाते
हर कठिनाई से जूझते भी
लगभग प्रसन्न ही रहते
श्रम, विश्वास और आस्था ही
जीवन्तता के परिचायक हैं
और इनके जीवन का आधार

1 comment:

babanpandey said...

it depicts clearly...the life of the people on hills..