Friday, June 20, 2014

तितिक्षा

मुझे विदित है
नापसंद है तुम्हें
आलोचना करना
शायद मेरा
मैं परिवाद न कर
इतना ज़रूर कहूँगा
मेरी टिप्पणी
व्यवस्थाओं पर है
प्रयास अवश्य करूँगा
मैं तितिक्षा का
फिर भी लेकिन
मुझे प्रतीक्षा रहेगी
सुधार की भी
परिवर्तन की भी
तुम में भी
व्यवस्था में भी
मेरे आस पास भी
मेरा आशावादी होना
इसी का पर्याय है!


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