एक साल गुजर गया
भीषण भयावह स्वप्नवत
हक़ीक़त था बन गया
सबने देखा था बार बार
हमारा सब कुछ बह गया
दर्द के सन्नाटे में तब
कोई आवाज़ था दे गया
वो तो पुरानी बात थी
अब एहसास मर गया
वर्ष-गाँठ के नाम हर कोई
रूखी संवेदना सी दे गया
हमारे दर्द बांटने वालों का
एकदम टोटा ही पड़ गया
बस सहानुभूति के नाम
चंद अल्फ़ाज़ नज़र कर गया
हर शख्स आखिरकार
एक लम्बी साँस भर गया
....dedicated to anniversary of Himalayan Tsunami in India in 2013
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