शुक्र है जज़्बातों में ठण्डक नहीं
सूरज का पारा सातवें आसमान
शुक्र है चाँदनी शीतल है अब भी
तपिश की मार का भी लुत्फ़ है
बरसात का इंतज़ार भी है अभी
आग सी दहकती है हर ओर ही
शुक्र है यादों की तासीर गर्म नहीं
बेवजह मौसम को क्यों कोसिये
लोगों के मिज़ाज़ कम गर्म नहीं
तन-मन की गर्मी से रखें परहेज़
मौसम की गर्मी हमेशा रहती नहीं
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