Thursday, June 5, 2014

वज़ूद

मेरा वज़ूद भी
कुछ अजीब है
कितना अलग है ये
तुम्हारे वज़ूद से
तुम ठहरे यहाँ
अपनी मर्ज़ी के मालिक
मैं तुम्हारे आराम को
एक उपभोग की वस्तु
तुम्हें स्वीकारा जाता है
तुम्हारी हर बुराई सहित
और ये भी सच है
मुझे दुत्कारा जाता है
तुम्हारी बुराई के लिए
ये कहकर भी कि
शायद मुझमें कमी है
तुम्हारी हर बुराई को
कर दिया जाता है
नज़रअंदाज़ भी
बस एक अच्छी के बहाने
मेरी सब अच्छाइयाँ
गायब हो जाती है
बिना कारण जाने
एक बुराई लादकर
वह भी शायद
तुम्हारे कारण


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