मेरी क़िस्मत की पतंग
जलते अंगारों से घिरी है
इसकी कमज़ोर सी डोर
बादलों की ऊँचाई तक
जाने कैसे उड़ा लाई है
यहाँ सूरज की तपिश
गर्म थपेड़े में लिपटी है
जलाते हुए अँगारों सी
दुनियाँ के लोगों के
बर्ताव और फितरत से
अब एहसास मर गए हैं
सर्द व गर्म हालात के
पतंग लेकिन सलामत है
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