Sunday, April 14, 2013

सर्वत्र अन्याय क्यों व्याप्त है?

मुझे सत्य की तलाश नहीं
हाँ सत्य का अपना स्थान है
मुझे व्यक्तिगत असत्य से
प्रायः कोई गुरेज़ भी नहीं है
ये तो मेरी दृष्टि में मात्र एक
व्यक्ति के चरित्र का द्योतक है
मुझे तलाश है बस न्याय की
हाँ मुझे अन्याय से नफरत है
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ
न्याय समानता का रक्षक है
न्याय की दृष्टि में श्रेष्ठ है कानून
समानता न्याय का आधार है
वह दोष-निर्दोष में भेद करता
किसी ने कहा कानून अँधा है
किन्तु न्यायमूर्ति तो सक्षम हैं
फिर सर्वत्र अन्याय क्यों व्याप्त है?

No comments: