Sunday, April 7, 2013

मनुवां से मनोहर

कैसी प्यारी प्यारी न्यारी बातें कह तुमने
अपने काम का तरीका समझाया था हमको
सोचा था करोगे दूर मेरे सब दुःख सारे तुम
इसलिए समझ बूझ मेरा वोट डाला तुमको
सारे वादे ग़ुम ज्यों ही जीत मिली तुमको
अपनी संसद पहुँच भुलाया तुमने हमको
मेरे दुःख बढ़ते गए तुम कभी न आये कभी
झूठे वादे कर के था रुलाया तुमने हमको
इतना भी भूल गए क्या क्या कर हमने
मनुवां से मनोहर था बनाया हमने तुमको
मेरे से ग़रीब थे तुम मेरी जैसी बातें करते
अब कैसे यूँ अमीर बने पता है सब हमको
पाँच साल हमसे छुड़ाते रहे तुम पीछा रोज़
आज ये डगर हमारी लाये क्यूँ तुम खुद को
बोली में तुम अपनी मिसरी सी घोल घोल के
आज क्यूँ आये हो ये मालूम है सब हमको
अपना दुःख अपना सुख अपने ही हाथ है
अब न कोई बात हम बतायें कभी तुमको
बड़े पछता रहे हैं तुम्हें नेता अपना मानकर
अब न देंगे वोट अपना कभी हम तुमको

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