Wednesday, April 3, 2013

अब भी बहुत याद आते हो

हाँ अब भी बहुत याद आते हो
जब जब भी भुलाना था चाहा मैंने
तुम बस मेरे ख़्वाबों में चले आते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
ये हवायें और ये महकती फ़िज़ायें
हो ये रौशनी ये अँधेरा ये सवेरा
बिन तेरे यहाँ कुछ भी नहीं मेरा
निराशाओं में भी आशा जगाते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
न जाने तुम क्या सोचते होगे मुझे
कभी जब सामने मेरे तुम आ जाना
मेरी ख़ामोशी की ज़ुबां पढ़ जाना
मेरी आँखें मेरा चेहरा बस कह देगा
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
मुझे मालूम है तुम्हारी मज़बूरी
अब दूरियाँ ही नज़दीकियां मेरी
सपनों में आते जाते रह कर भी
तुम मेरा हौसला बढ़ा जाते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो

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