गहरे घने कुहासे के बीच
लगभग अंधकार में भी
अलग दृष्टि से देखने पर
ज्यों विलक्षण आनन्द की
हो सकती है प्रायः अनुभूति
जीवन के किसी तम में भी
भिन्न दृष्टि से नज़ारा कर
शायद दृष्टिगोचर होना
एक नवीन पक्ष का
स्वाभाविक सी बात है
किन्तु धैर्य एवं मुक्त मन
इसके हैं आवश्यक तत्व
विश्लेषण एवं परिणाम
उभय पक्ष के लिए
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