Tuesday, April 30, 2013

स्वाभाविक

गहरे घने कुहासे के बीच
लगभग अंधकार में भी
अलग दृष्टि से देखने पर
ज्यों विलक्षण आनन्द की
हो सकती है प्रायः अनुभूति
जीवन के किसी तम में भी
भिन्न दृष्टि से नज़ारा कर
शायद दृष्टिगोचर होना
एक नवीन पक्ष का
स्वाभाविक सी बात है
किन्तु धैर्य एवं मुक्त मन
इसके हैं आवश्यक तत्व
विश्लेषण एवं परिणाम
उभय पक्ष के लिए

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