कैसे बेवकूफ निकले हम यहाँ सब की नज़र में
हमने कभी लगाया तक नहीं था अपना हिसाब
क्या करते हमें न आदत है न ज़रूरत ही समझी
यूँ भी बहुत कच्चा है हमारी तरह हमारा हिसाब
ये हमारी दरियादिली का ही तो नतीजा है मानो
आज तुम बड़े हक़ से माँग भी सकते हो हिसाब
इसमें कुछ ग़लत नहीं जो तुमने माँगा हिसाब
अब तो साँसें भी यहाँ माँगती हैं अपना हिसाब
बस दुआ करते रहो हम न माँगें कभी भी तुमसे
वरना मुश्क़िल हो जाएगी करते हमारा हिसाब
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