तुम्हें भी ज़रूरत है
झाँकने की बहुत
अपने अंतर्मन में
जहाँ मिलेगी तुम्हें
वस्तुगत विवेचना
विषयगत सोच से
एकदम अलग ही
कर देगी तुम्हें भी
अचम्भित अवश्य
बशर्ते की तुम
तुम्हारा अपना 'मैं'
अलग कर देखो
यूँ भी कठिन होगा
स्वयं से छिपाना
यदि न हो सोच तुम्हारी
बिलकुल अन्यथा
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